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Tuesday 28 April 2020

Micro Teaching lesson plan for history in Hindi | इतिहास विषय की सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना

Micro Teaching lesson plan for history in Hindi | इतिहास विषय की सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना 

Micro Teaching lesson plan for history in Hindi | इतिहास विषय की सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना
Micro Teaching lesson plan for history in Hindi | इतिहास विषय की सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना 

सूक्ष्म पाठ योजना

विषय : इतिहास ( History )                                        अनुक्रमांक : -

प्रकरण : 1857 का संग्राम                                              कक्षा : 11 

तिथि :                                     अवधि : ६ मिनट


कौशल : उद्दीपन परिवर्तन

मुख्य बिंदु
छात्रा अध्यापक
छात्र
भूमिका
1857 का संग्राम ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ी और अहम घटना थी। इस क्रांति की शुरुआत 10 मई, 1857 ई. को मेरठ से हुई, जो धीरे-धीरे कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली, अवध आदि स्थानों पर फैल गई। क्रांति की शुरुआत तो एक सैन्य विद्रोह के रूप में हुई, लेकिन समय के साथ उसका स्वरूप बदल कर ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध एक जनव्यापी विद्रोह के रूप में हो गया, जिसे भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम कहा गया।
प्रश्न : भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम किसे कहा गया ?
1857 का संग्राम को
विस्तार
19वीं सदी की पहली आधी सदी के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत के बड़े हिस्से पर कब्जा हो चुका था। जैसे-जैसे ब्रिटिश शासन का भारत पर प्रभाव बढ़ता गया, वैसे-वैसे भारतीय जनता के बीच ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष फैलता गया। प्लासी के युद्ध के एक सौ साल बाद ब्रिटिश राज के दमनकारी और अन्यायपूर्ण शासन के खिलाफ असंतोष विद्रोह के रूप में भड़कने लगा जिसने भारत में ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की बात करें तो इससे पहले देश के अलग-अलग हिस्सों में कई घटनाएं घट चुकी थीं। जैसे कि 18वीं सदी के अंत में उत्तरी बंगाल में संन्यासी आंदोलन और बिहार एवं बंगाल में चुनार आंदोलन हो चुका था। 19वीं सदी के मध्य में कई किसान आंदोलन हुए जिनमें मालाबार के मोपलाह किसानों और बंगाल के मुस्लिम किसानों द्वारा फराइजी आंदोलन अहम हैं।
प्रश्न : कौन सी कंपनी का भारत के बड़े हिस्से पर कब्जा हो गया था ?
ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत के बड़े हिस्से पर कब्जा हो चुका था
विद्रोह के परिणाम
विद्रोह के समाप्त होने के बाद 1858 ई. में ब्रिटिश संसद ने एक कानून पारित कर ईस्ट इंडिया कंपनी के अस्तित्व को समाप्त कर दिया, और अब भारत पर शासन का पूरा अधिकार महारानी विक्टोरिया के हाथों में आ गया। इंग्लैंड में 1858 ई. के अधिनियम के तहत एक 'भारतीय राज्य सचिव' की व्यवस्था की गयी, जिसकी सहायता के लिए 15 सदस्यों की एक 'मंत्रणा परिषद्' बनाई गई। इन 15 सदस्यों में 8 की नियुक्ति सरकार द्वारा करने तथा 7 की 'कोर्ट ऑफ हाइरेक्टर्स' द्वारा चुनने की व्यवस्था की गई।
प्रश्न : 'मंत्रणा परिषद्' में कितने सदस्य थे ?
15 सदस्य
    
पर्यवेक्षण अनुसूची


घटक
निर्धारक मापनी
हाँ / नहीं
गतिशीलता
1               2             3           4              5
हाँ / नहीं
हाव – भाव
1               2             3           4              5
हाँ / नहीं
आवाज में परिवर्तन
1               2             3           4              5
हाँ / नहीं
अंत: क्रिया में परिवर्तन
1               2             3           4              5
हाँ / नहीं
दृश्य साधनों का प्रयोग
1               2             3           4              5
हाँ / नहीं
विराम
1               2             3           4              5



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