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Friday 24 April 2020

Lesson Plan of water pollution in Hindi | जल प्रदूषण पर पाठ योजना

Lesson Plan of water pollution in Hindi | जल प्रदूषण पर पाठ योजना

Lesson Plan of water pollution in Hindi | जल प्रदूषण पर पाठ योजना
Lesson Plan of water pollution in Hindi | जल प्रदूषण पर पाठ योजना 

पाठ योजना ( हरबर्ट उपागम के अनुसार )

विषय : सामाजिक विज्ञान              कक्षा : …………. 
उपविषय : जल प्रदूषण                अवधि : 40 मिनट

व्यवहारगत उद्देश्य

ज्ञान : -
1 विद्यार्थी जल प्रदूषण की परिभाषा से परिचित हो जायेंगे |
2 विद्यार्थी जल प्रदूषण के स्वरूप से अवगत हो जायेंगे |

अवबोधन : -
1 विद्यार्थी जल प्रदूषण के अर्थ को स्पष्ट कर सकेंगे |
2 विद्यार्थी जल प्रदूषण की परिभाषा का विश्लेष्ण कर सकेंगे |
3 विद्यार्थी जल प्रदूषण की दशाओं का विवेचन कर सकेंगे |
4 विद्यार्थी जल प्रदूषण लागू होने के कारणों को स्पष्ट कर सकेंगे |

कौशल : -
1 विद्यार्थी तालिका व रेखाचित्र के माध्यम से जल प्रदूषण समझने में कुशल हो जाएंगे |
2 विद्यार्थी रेखाचित्र के माध्यम से किसी उदाहरण द्वारा जल प्रदूषण के स्पष्टीकरण हेतु अंकन करने में कुशल हो जाएंगे |

प्रयोग : - विद्यार्थी वैकल्पिक परिस्थिति में जल प्रदूषण के लागू होने की जांच का निष्कर्ष निकालने में सक्षम होंगे |

अनुदेश्नात्मक सामग्री :
1 जल प्रदूषण सम्बन्धी तालिका
2 तालिका पर आधारित रेखाचित्र

पूर्व ज्ञान
छात्राध्यापक यह अनुमान लगाता है कि सभी विद्यार्थी जल प्रदूषण सम्बन्धी जानकारी रखते हैं | विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान को जाचनें के लिए निम्नलिखित प्रश्न पूछे जायेंगे :
संख्या
छात्राध्यापक
विद्यार्थी
1
प्यास लगती है तो हम क्या पीते है ?    
जल
2
प्रदुषण किसे कहते है ?

किसी भी चीज का दूषित हो जाना  
3
जल प्रदूषण किसे कहते है ?
नहीं पता

उद्देश्य कथन :- अंतिम प्रश्न के पश्चात छात्राध्यापक अध्यापिका धोषणा करेगी कि आप हम जल प्रदूषण के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे
  
प्रस्तुतिकरण : -
शिक्षण बिंदु
छात्राध्यापक क्रियाएं
छात्र क्रियाएं
चाक बोर्ड कार्य
जल प्रदूषण का अर्थ
जल प्रदूषण, से अभिप्राय जल निकायों जैसे किझीलोंनदियोंसमुद्रों और भूजल के जल के संदूषित होने से है। जल प्रदूषण, इन जल निकायों के पादपों और जीवों को प्रभावित करता है और सर्वदा यह प्रभाव न सिर्फ इन जीवों या पादपों के लिए अपितु संपूर्ण जैविक तंत्र के लिए विनाशकारी होता है।

झीलों
नदियों
समुद्रों
भूजल
जल प्रदूषण का मुख्य कारण 
जल प्रदूषण का मुख्य कारण मानव या जानवरों की जैविक या फिर औद्योगिक क्रियाओं के फलस्वरूप पैदा हुये प्रदूषकों को बिना किसी समुचित उपचार के सीधे जल धारायों में विसर्जित कर दिया जाना है। जल में विभिन्न प्रकार के हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण का मुख्य कारण 

जल प्रदूषण किसे कहते है ?
जल प्रदूषण, से अभिप्राय जल निकायों जैसे किझीलोंनदियोंसमुद्रों और भूजल के जल के संदूषित होने से है।

जल प्रदूषण के प्राकृतिक कारण

वर्षा के जल में हवा में उपस्थित गैसों और धूल के कणों के मिल जाने आदि से उसका जल जहाँ भी जमा होता है, वह जल प्रदूषित हो जाता है। इसके अलावा ज्वालामुखी आदि भी इसके कुछ कारण हैं। जब कुछ अपशिष्ट पदार्थ भी इसमे मिलते हैं तब भी ये जल गंदा हो जाता है ।

 


प्राकृतिक कारण

रोगजनक


यह कई रोगों के जनक होते हैं। इस कारण इन्हें रोगजनक कहते हैं। इसमें विषाणुजीवाणुकवकपरजीवी आदि आते हैं। यह मुख्यतः एक जगह जल के एकत्रित रहने पर होते हैं। इसके अलावा यह सड़े गले खाद्य पदार्थों में भी पैदा हो जाते हैं।

विषाणु
जीवाणु

दूषित पदार्थ


इसमें कार्बनिक, अकार्बनिक सभी प्रकार के पदार्थ जो नदियों में नहीं होने चाहिए, इस श्रेणी में आते हैं। कपड़े या बर्तन की धुलाई या जीवों या मनुष्यों के साबून से नहाने पर यह साबुन युक्त जल शुद्ध जल में विलय हो जाता है। खाने या किसी भी अन्य तरह का पदार्थ भी जल में घुल कर उसे प्रदूषित कर देता है।
पेट्रोल आदि पदार्थों का रिसाव समुद्री जल प्रदूषण का बड़ा कारण है। पेट्रोल का आयात-निर्यात समुद्री मार्गों से किया जाता है। इन जहाजों में से कई बार रिसाव हो जाता है या किसी कारण से जहाज दुर्घटना का शिकार हो जाता है। उसके डूबने आदि से या तेल के समुद्र में फैलने से जल प्रदूषण होता है।


कार्बनिक
अकार्बनिक

ऊष्मीय प्रदूषण

 

कई बड़े कारखाने वस्तु आदि को गलाने हेतु बहुत गर्म करते हैं। इसी के साथ उसमें कई ऐसे पदार्थ भी होते हैं, जिन्हें कारखाने में उपयोग नहीं किया जा सकता है। उसे कहीं ओर डालने के स्थान पर यह उसे नदी में डाल देते हैं। जिसके कारण नदी का पानी प्रदूषित हो जाता है। इसके ऊष्मा के कारण कई जलीय जीवों जैसे मछली आदि की भी मौत हो जाती है, जो नदियों में कचरा खाकर उसे साफ रखने का भी कार्य करती हैं। ऊष्मीय जल में ऑक्सीजन घुल नहीं पाता है और इसके कारण भी कई जलीय जीवों का नाश हो जाता है।
तापीय या ऊष्मीय प्रदूषण नदियों आदि में बहुत ही ठंडे जल प्रवाहित करने पर भी होता है। इससे सबसे बड़ा खतरा गर्म रहने वाले नदियों पर होता है।



जल शोधन

 

जल प्रदूषण पर नियंत्रण हेतु नालों की नियमित रूप से साफ सफाई करना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में जल निकास हेतु पक्की नालियों की व्यवस्था नहीं होती है। इस कारण इसका जल कहीं भी अस्त-व्यस्त तरीके से चले जाता है और किसी नदी नहर आदि जैसे स्रोत तक पहुँच जाता है। इस कारण नालियों को ठीक से बनाना और उसे जल के किसी भी स्रोत से दूर रखने आदि का कार्य भी करना चाहिए।

जल प्रदूषण पर नियंत्रण

सामान्यीकरण : जल प्रदूषण का मुख्य कारण मानव या जानवरों की जैविक या फिर औद्योगिक क्रियाओं के फलस्वरूप पैदा हुये प्रदूषकों को बिना किसी समुचित उपचार के सीधे जल धारायों में विसर्जित कर दिया जाना है। जल में विभिन्न प्रकार के हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल प्रदूषण होता है।

मुल्यांकन : विद्यार्थियों के मुल्यांकन को जाचनें के लिए निम्नलिखित प्रश्न पूछे जायेंगे :
1 जल प्रदूषण के कारण कौन से है ?
2 जल प्रदूषण क्या है ?

3 जल शोधन कब किया जाता है ?


गृहकार्य :
जल प्रदूषणका संक्षेप में वर्णन कीजिये


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