Lesson Plan for revolt of 1857 in Hindi Answer , 1857 का संग्राम पर पाठ योजना | बी.एड
Lesson Plan for revolt of 1857 in Hindi Answer , 1857 का संग्राम पर पाठ योजना | बी.एड |
पाठ योजना ( हरबर्ट उपागम के अनुसार )
विषय : इतिहास कक्षा
: 11
उपविषय : 1857 का संग्राम अवधि
: 40 मिनट
व्यवहारगत उद्देश्य
ज्ञान : -
1 विद्यार्थी 1857 का संग्राम से परिचित हो
जायेंगे |
2 विद्यार्थी 1857 का संग्राम के स्वरूप से अवगत
हो जायेंगे |
अवबोधन : -
1 विद्यार्थी 1857 का संग्राम को स्पष्ट कर सकेंगे |
2 विद्यार्थी 1857 का संग्राम का विश्लेष्ण कर सकेंगे |
3 विद्यार्थी 1857 का संग्राम की दशाओं का विवेचन कर सकेंगे |
4 विद्यार्थी 1857 का संग्राम के कारणों को स्पष्ट कर सकेंगे |
कौशल : -
1 विद्यार्थी रेखाचित्र के माध्यम से 1857 का संग्राम समझने में कुशल हो जाएंगे |
2 विद्यार्थी रेखाचित्र के माध्यम से किसी उदाहरण द्वारा 1857 का संग्राम के स्पष्टीकरण हेतु
अंकन करने में कुशल हो जाएंगे |
प्रयोग : - विद्यार्थी वैकल्पिक परिस्थिति में 1857 का संग्राम के लागू होने की
जांच का निष्कर्ष निकालने में सक्षम होंगे |
अनुदेश्नात्मक
सामग्री :
1 1857 का संग्राम सम्बन्धी रेखाचित्र
पूर्व ज्ञान
छात्राध्यापक यह अनुमान लगाता है कि सभी विद्यार्थी 1857 का संग्राम सम्बन्धी जानकारी
रखते हैं | विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान को जाचनें के लिए निम्नलिखित प्रश्न पूछे
जायेंगे :
संख्या
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छात्राध्यापक
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विद्यार्थी
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1
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हम किस देश के
निवासी है ?
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भारत के
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2
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आर्थिक दृष्टि से
भारत कैसा है ?
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विकासशील
|
3
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1857 का संग्राम के बारे में बताओ ?
|
नहीं पता
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उद्देश्य कथन :- अंतिम प्रश्न के
पश्चात छात्राध्यापक अध्यापिका धोषणा करेगी कि आप हम 1857 का संग्राम के बारे में
जानकारी प्राप्त करेंगे
प्रस्तुतिकरण : -
शिक्षण बिंदु
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छात्राध्यापक क्रियाएं
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छात्र क्रियाएं
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चाक बोर्ड कार्य
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1857 का संग्राम
|
1857 का संग्राम ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ी
और अहम घटना थी। इस क्रांति की शुरुआत 10 मई, 1857 ई. को मेरठ से हुई, जो धीरे-धीरे कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली, अवध आदि
स्थानों पर फैल गई। क्रांति की शुरुआत तो एक सैन्य विद्रोह के रूप में हुई, लेकिन समय के साथ उसका स्वरूप बदल कर ब्रिटिश
सत्ता के विरुद्ध एक जनव्यापी विद्रोह के रूप में हो गया, जिसे भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम कहा गया।
प्रश्न : भारत का प्रथम
स्वतन्त्रता संग्राम किसे कहा गया ?
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1857 का संग्राम को
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कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली, अवध
|
19वीं सदी की पहली आधी सदी के दौरान ईस्ट
इंडिया कंपनी का भारत के बड़े हिस्से पर कब्जा हो चुका था। जैसे-जैसे ब्रिटिश
शासन का भारत पर प्रभाव बढ़ता गया, वैसे-वैसे
भारतीय जनता के बीच ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष फैलता गया। प्लासी के युद्ध के
एक सौ साल बाद ब्रिटिश राज के दमनकारी और अन्यायपूर्ण शासन के खिलाफ असंतोष
विद्रोह के रूप में भड़कने लगा जिसने भारत में ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की बात करें तो इससे
पहले देश के अलग-अलग हिस्सों में कई घटनाएं घट चुकी थीं। जैसे कि 18वीं सदी के अंत में उत्तरी बंगाल में संन्यासी
आंदोलन और बिहार एवं बंगाल में चुनार आंदोलन हो चुका था। 19वीं सदी के मध्य में कई किसान आंदोलन हुए जिनमें
मालाबार के मोपलाह किसानों और बंगाल के मुस्लिम किसानों द्वारा फराइजी आंदोलन
अहम हैं।
प्रश्न : कौन सी कंपनी का भारत के बड़े हिस्से पर कब्जा हो
गया था ?
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ईस्ट इंडिया कंपनी का
|
ईस्ट इंडिया कंपनी
ब्रिटिश शासन
|
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19वीं सदी के पहले 5 दशकों में कई जनजाति विद्रोह भी हुए जैसे मध्य
प्रदेश में भीलों का, बिहार में संथालों और ओडिशा में गोंड्स एवं
खोंड्स जनजातियों का विद्रोह अहम था। लेकिन इन सभी आंदोलन का प्रभाव क्षेत्र
बहुत सीमित था यानी ये स्थानीय प्रकृति के थे। अंग्रेजों के खिलाफ जो संगठित
पहला विद्रोह भड़का वह 1857 में था। शुरू में तो यह सिपाहियों के
विद्रोह के रूप में भड़का लेकिन बाद में यह जनव्यापी क्रांति बन गया।
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गोंड्स एवं खोंड्स जनजातियों का विद्रोह
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राजनीतिक कारण
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1857 के विद्रोह का प्रमुख राजनीतिक कारण ब्रिटिश
सरकार की 'गोद निषेध प्रथा' या 'हड़प नीति' थी। यह अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति थी जो ब्रिटिश भारत के
गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के दिमाग की उपज थी। कंपनी के गवर्नर जनरलों ने भारतीय
राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने के उद्देश्य से कई नियम बनाए। उदाहरण
के लिए, किसी राजा के निःसंतान होने पर उसका राज्य ब्रिटिश साम्राज्य
का हिस्सा बन जाता था। राज्य हड़प नीति के कारण भारतीय राजाओं में बहुत असंतोष
पैदा हुआ था। रानी लक्ष्मी बाई के दत्तक पुत्र को झांसी की गद्दी पर नहीं बैठने
दिया गया। हड़प नीति के तहत ब्रिटिश शासन ने सतारा, नागपुर और झांसी को
ब्रिटिश राज्य में मिला लिया। अब अन्य राजाओं को भय सताने लगा कि उनका भी विलय
थोड़े दिनों की बात रह गई है। इसके अलावा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना
साहेब की पेंशन रोक दी गई जिससे भारत के शासक वर्ग में विद्रोह की भावना मजबूत
होने लगी।
आग में घी का काम उस घटना ने किया जब बहादुर शाह द्वितीय के वंशजों को लाल किले में रहने पर पाबंदी लगा दी गई। कुशासन के नाम पर लार्ड डलहौजी ने अवध का विलय करा लिया जिससे बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, अधिकारी एवं सैनिक बेरोजगार हो गए। इस घटना के बाद जो अवध पहले तक ब्रिटिश शासन का वफादार था, अब विद्रोही बन गया।
राजनीतिक कारण कौन से थे ?
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1857 के विद्रोह का प्रमुख राजनीतिक कारण ब्रिटिश
सरकार की 'गोद निषेध प्रथा' या 'हड़प नीति' थी
|
गोद निषेध प्रथा
गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी
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सामाजिक एवं धार्मिक कारण
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भारत में तेजी से पैर पसारती पश्चिमी सभ्यता को लेकर समाज के
बड़े वर्ग में आक्रोश था। 1850 में ब्रिटिश सरकार ने हिंदुओं के उत्तराधिकार
कानून में बदलाव कर दिया और अब किस्चन धर्म अपनाने वाला हिंदू हीअपने पूर्वजों
की संपत्ति में हकदार बन सकता था। इसके अलावा मिशनरियों को पूरे भारत में धर्म
परिवर्तन की छूट मिल गई थी। लोगों को लगा कि ब्रिटिश सरकार भारतीय लोगों को
क्रिस्चन बनाना चाहती है। भारतीय समाज में सदियों से चली आ रही कुछ प्रथाओं जैसे
सती प्रथा आदि को समाप्त करने पर लोगों के मन में असंतोष पैदा हुआ।
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सामाजिक एवं धार्मिक कारण
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आर्थिक कारण
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भारी टैक्स और राजस्व संग्रहण के कड़े नियमों के कारण किसान
और जमींदार वर्गों में असंतोष था। इन सबमें से बहुत से ब्रिटिश सरकार की टैक्स
मांग को पूरा करने में असक्षम थे और वे साहूकारों का कर्ज चुका नहीं पा रहे थे
जिससे अंत में उनको अपनी पुश्तैनी जमीन से हाथ धोना पड़ता था। बड़ी संख्या में
सिपाहियों का इन किसानों से संबंध था और इसलिए किसानों की पीड़ा से वे भी
प्रभावित हुए।
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के बाद भारतीय बाजार ब्रिटेन में निर्मित उत्पादों से पट गए। इससे भारत का स्थानीय कपड़ा उद्योग खासतौर पर तबाह हो गया। भारत के हस्तशिल्प उद्योग ब्रिटेन के मशीन से बने सस्ते सामानों का मुकाबला नहीं कर पाए। भारत कच्ची सामग्री का सप्लायर और ब्रिटेन में बने सामानों का उपभोक्ता बन गया। जो लोग अपनी आजीविका के लिए शाही संरक्षण पर आश्रित थे, सभी बेरोजगार हो गए। इसलिए अंग्रेजों के खिलाफ उनमें काफी गुस्सा भरा हुआ था। |
आर्थिक कारण
औद्योगिक क्रांति
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सैन्य कारण
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भारत में ब्रिटिश सेना में 87 फीसदी से ज्यादा भारतीय सैनिक थे। उनको
ब्रिटिश सैनिकों की तुलना में कमतर माना जाता था। एक ही रैंक के भारतीय सिपाही
को यूरोपीय सिपाही के मुकाबले कम वेतन दिया जाता था। इसके अलावा भारतीय सिपाही
को सूबेदार रैंक के ऊपर प्रोन्नति नहीं मिल सकती थी। इसके अलावा भारत में
ब्रिटिशन शासन के विस्तार के बाद भारतीय सिपाहियों की स्थिति बुरी तरह प्रभावित
हुई। उनको अपने घरों से काफी दूर-दूर सेवा देनी पड़ती थी। 1856 में लार्ड कैनिंग ने
एक नियम जारी किया जिसके मुताबिक सैनिकों को भारत के बाहर भी सेवा देनी पड़ सकती
थी।
ब्रिटिश सेना में कितने फीसदी से ज्यादा
भारतीय सैनिक थे ?
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ब्रिटिश सेना में 87 फीसदी से ज्यादा भारतीय सैनिक थे
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सैन्य कारण
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तात्कालिक कारण
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1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारणों में यह अफवाह थी
कि 1853 की राइफल के कारतूस की खोल पर सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई
है। यह अफवाह हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा
रही थी। ये राइफलें 1853 के राइफल के जखीरे का हिस्सा थीं।
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तात्कालिक कारण
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सामान्यीकरण : 19वीं सदी की पहली आधी
सदी के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत के बड़े हिस्से पर कब्जा हो चुका था।
जैसे-जैसे ब्रिटिश शासन का भारत पर प्रभाव बढ़ता गया, वैसे-वैसे भारतीय जनता
के बीच ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष फैलता गया। प्लासी के युद्ध के एक सौ साल बाद
ब्रिटिश राज के दमनकारी और अन्यायपूर्ण शासन के खिलाफ असंतोष विद्रोह के रूप में
भड़कने लगा जिसने भारत में ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम
की बात करें तो इससे पहले देश के अलग-अलग हिस्सों में कई घटनाएं घट चुकी थीं। जैसे
कि 18वीं सदी के अंत में
उत्तरी बंगाल में संन्यासी आंदोलन और बिहार एवं बंगाल में चुनार आंदोलन हो चुका
था। 19वीं सदी के मध्य में
कई किसान आंदोलन हुए जिनमें मालाबार के मोपलाह किसानों और बंगाल के मुस्लिम
किसानों द्वारा फराइजी आंदोलन अहम हैं।
मुल्यांकन : विद्यार्थियों के
मुल्यांकन को जाचनें के लिए निम्नलिखित प्रश्न पूछे जायेंगे :
1 भारत में 1857 का संग्राम के कारण कौन से थे ?
2 1857 का संग्राम क्या थी ?
3 1857 का संग्राम के प्रमुख
कारण क्या थे ?
गृहकार्य :
‘1857 का संग्राम’ का संक्षेप में वर्णन कीजिये
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