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Sunday 14 February 2021

आकाशगंगा में पराबैंगनी तारों की पहचान (Identification of Ultraviolet Stars in the Galaxy)

 💁‍♂️👉आकाशगंगा में पराबैंगनी तारों की पहचान (Identification of Ultraviolet Stars in the Galaxy)📚


💥चर्चा का कारण💥


💫हाल ही में भारत के पहले बहुल तरंगदैधर्य अंतरिक्ष उपग्रह (Multi-Wavelength Space Satellite) एस्ट्रोसैट (Astrosat) ने मिल्की वे गैलेक्सी (Milky Way galaxy) में एक विशाल गोलाकार तारा समूह (Globular Cluster) NGC 2808 में दुर्लभ गर्म पराबैंगनी (Ultra Violet-UV) तारों को चिह्नित किया है। ये ऐसे तारों के समूह हैं जो ब्रह्माण्ड में बहुत ही कम देखे गए हैं। इस तारापुंज को ब्रह्माण्ड का डायनासोर (Dinosaur of Universe) कहा गया है।

💫भारतीय तारा भौतिकी संस्थान (आईआईए), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों की टीम ने इन सितारों को, एस्ट्रोसैट का उपयोग करते हुए कैप्चर किया है। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2020 में, एस्ट्रोसैट ने अपनी कक्षा में पाँच साल पूरे किए हैं।


💥प्रमुख बिन्दु💥


💫भारत के विज्ञान और तकनीकी विभाग के अनुसार इस तारा समूह में बहुत कम पाए जाने वाले ऐसे तारे हैं जो गर्म पराबैंगनी विकरणों से चमकते हैं। इन तारों का केंद्र एक तरह से पूरा खुला हुआ है जिससे वे बहुत ही गर्म तारे बन गए हैं।

ये तारे सूर्य जैसे तारों के अंतिम अवस्था में हैं। फिर भी अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन तारों का जीवन कैसे समाप्त होता है क्योंकि इनमें से बहुत से तारे अभी अपने शुरुआती दौर में अवलोकित नहीं किए जा सके हैं जो कि उनके अध्ययन के लिए बहुत अहम है।

💫पुराने गोलाकार तारापुंजों को ब्रह्माण्ड का डायनासोर कहा जाता है। ये खगोलविदो के लिए बहुत ही विशेष किस्म की लैबोरेटरी मानी जाती हैं जहां वे तारों के जन्म से लेकर उनकी मृत्यु तक की सभी अवस्थाओं का अध्ययन कर सकते है। इसके लिए अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप से ली गईं तस्वीरें बहुत ही उपयोगी साबित होती हैं।

💫क्लस्टर की शानदार अल्ट्रावॉयलेट (यूवी) छवियों के उपयोग से वैज्ञानिक अपेक्षाकृत ठंडे रेड जाइंट एवं अन्य तारों और गर्म पराबैंगनी-चमकीले तारों में अंतर करते हैं। इस अध्ययन के निष्कर्षों को ‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ शोध पत्रिका में प्रकाशन के लिए स्वीकृत किया गया है।

💫वैज्ञानिकों ने यूवीआईटी डेटा को दुनिया की अन्य प्रमुख दूरबीनों से प्राप्त डेटा से जोड़कर समायोजित रूप से पेश किया है। इस दौरान हबल स्पेस टेलीस्कोप और गैया (Gaia) टेलीस्कोप जैसे अन्य अंतरिक्ष मिशनों के साथ-साथ जमीन पर आधारित ऑप्टिकल अवलोकनों से प्राप्त तथ्यों का इस शोध में उपयोग किया गया है।

💫इनमें से एक पराबैंगनी प्रकाश से चमकने वाला तारे को सूर्य से तीन हजार गुना अधिक चमकीला पाया गया है, जिसकी सतह का तापमान लगभग एक लाख केल्विन है। इन तारों के गुणों को केंद्र में रखकर वैज्ञानिक इनके जन्म एवं विकासक्रम को समझने का प्रयास कर रहे हैं।


💥NGC 2808💥


💫इस क्लस्टर के बारे में कहा जाता है कि इसमें सितारों की पाँच पीढि़यां होती हैं।

अध्ययन में पाया गया कि कि ज्यादातर तारे हॉरिजोंटल ब्रांच तारों वाली सौर अवस्था से निकले हैं जिसमें बाहरी परत नहीं के बराबर होती है। इसी वजह से तारे के जीवन की अंतिम प्रमुख अवस्था से नहीं गुजरते हैं जिसे एसिम्प्टोटिक ज्वाइंट अवस्था कहते हैं। वे सीधी ही मृत अवशेष या सफेद बौने तारे बन जाते हैं। एस्ट्रोसैट के जरिए अब तक 800 खगोलीय स्रोतों से 1166 अवलोकन किए हैं।


💥एस्ट्रोसैट💥


💫एस्ट्रोसैट भारत की बहु-तरंगदैर्ध्र्यों दूरबीन है। इसे इसरो द्वारा वर्ष 2015 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (श्रीहरिकोटा) से च्ैस्ट द्वारा लॉन्च किया गया था। यह भारत का पहला समर्पित खगोल विज्ञान मिशन है।


💥भारतीय तारा भौतिकी संस्थान💥


💫भारतीय ताराभौतिकी संस्थान देश का एक प्रमुख संस्थान है, जो खगोल ताराभौतिकी एवं संबंधित भौतिकी में शोधकार्य को समर्पित है। इस संस्थान का मुख्यालय कोरमंगला, बेंगलूर में है।

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